पहले स्वामी राम देव भी यही कहते थे की "हमें कार( कानून ) बदलनी है ड्राईवर (सरकार) नहीं" . कानून बदलने की कोशिश अन्ना हजारे जी ने की 5 अप्रैल 2011 के आन्दोलन से . बहुत ही सफल आन्दोलन रहा . पर क्या हुआ ? क्या जन लोकपाल बिल आया ? नहीं आया क्योंकि कांग्रेस नेता बेईमान थे. अन्ना अन्ना हजारे जी के साथ धोखा हुआ . 4 जून 2011 को बाबा राम देव ने भ्रस्ताचार मिटाओ सत्याग्रह किया जिसमे व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दों ( 1. अंग्रेजों के कानून बदलना , 2. काला धन वापस लाने , 3. बड़े नोट बंद करने और 4. मजबूत जन लोकपाल click here to download proof ) के लिए अनशन किया गया पर रात को 12 बजे सोते हुए अनशन करने वालों लोगों पर लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए . बाबा राम देव के साथ भी धोखा हुआ . अगले साल 9 अगस्त 2012 को बाबा राम देव फिर से रामलीला मैदान में आये और फिर से व्यवस्था परिवर्तन के उन्ही मुद्दों को लेकर आन्दोलन किया . बाबा राम देव ने कहा की हमारी कांग्रेस से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है अगर आप हमारी ये जायज मांगे मान लेते हैं तो हम इस का पूरा श्रेय कांग्रेस को देंगे और कांग्रेस का ही समर्थन करेंगे. अपनी मांगो को लेकर उन्होंने कांग्रेस सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा और कांग्रेस सरकार को तीन दिन का वक्त दिया. पर कांग्रेस सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया . इसके बाद कांग्रेस की मंशा समझते हुए उन्होंने "कांग्रेस हटाओ देश बचाओ" का नारा दिया. उन्होंने कहा अगले चुनाव में कांग्रेस का हम पूरा विरोध करेंगे और कांग्रेस का एक महबूत विकल्प देश को देंगे . अब बताये व्यवस्था बदलने के लिए कानून बदलने की जरुरत होती है , पर कानून बदलने के किये भ्रष्ट नेताओ को बदलने की भी तो जरुरत है न . रही बात BJP की . वो भी कोई दूध की धूलि नहीं है पर नरेंदर मोदी जैसे कुशल
प्रशासक के नेतृत्व में देश को एक राजनैतिक बदलाव देने की जरुरत से कोई
इनकार नहीं कर सकता . क्योंकि नरेंदर मोदी ने कुछ कहने से पहले कर के
दिखाया है . साथ ही देश के लिए कैंसर इस कांग्रेस कांग्रेस को भी जड़ से
उखाड़ने की जरुरत है . साथ ही बाबा राम देव ने ये भी स्पष्ट कहा है की हमने
BJP के साथ कोई शादी नहीं कर रखी . अगर BJP ने व्यवस्था परिवर्तन की हमारी
मांगो को नहीं माना तो हम दूसरे विकल्प जैसे नई राजनैतिक पार्टी बनाने या
किसी अन्य ईमानदार पार्टी को समर्थ देने पर भी विचार कर सकते है . रही
बात अरविन्द केजरीवाल की . वो तो एक विदेशी एजेंट है जिसका काम सिर्फ जनता
को गुमराह करना है ताकि वोट बंट जाएँ और कांग्रेस को फायदा हो जाए. अगर
अरविन्द की मंशा सही होती तो अन्ना या बाबा या किरण बेदी उसके साथ होते .
बाबा रामदेव से सवाल जवाब
Frequently asked Questions and their answers from Baba Ram Dev are given here. स्वामी राम देव जी से बार बार पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर यहाँ उपलब्ध हैं.
Saturday, September 14, 2013
Thursday, June 30, 2011
23) साधू संतो को राजनीती में दखल नहीं देना चाहिए, ये उनका काम नहीं है
उत्तर : परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज के हमलो से कांग्रेसी तिलमिला उठे है, और साधू संतो को राजनीती में दखल नहीं देना चाहिए, ये उनका काम नहीं है आदि आदि अनर्गल बाते कह रहे हैं |
सत्ता या राजनैतिक दलो से जुड़े इन तर्कवीरो को शायद इतिहास का ज्ञान नहीं है भारतीय इतिहास में कल्याणकारी व्यवस्था को स्थापित करने में साधू-समाज की भूमिका न केवल वैचारिक अपितु योद्धा की भी रही है | इतिहास गवाह है जब भी असुरी शक्तियों ने उत्पात मचाया है, जनता के धन को खाया है, अत्याचार किये है, दमन चक्र चलाया है, तब-तब कोई न कोई साधू संत परशुराम की तरह फरसा ले कर मानव कल्याण के लिए आगे आया है |
इतिहास पर नजर दौडाए तो स्वामी दयानंद के शिष्य श्रद्धानंद का अंग्रेजी हुकूमत से टकराना साधू-धर्म के साथ-साथ देश-धर्म के लिए मर-मिटने का यदि मानक उदाहरण है तो स्वामी विवेकानंद का 'दरिद्रनारायण' की स्थापनार्थ किया गया कर्म, साधू-धर्म का पालन करते हुए देश-धर्म का निर्वाह और शोषित-दलित वर्ग को जागृत करने का अनूठा प्रयास था | स्वामी विवेकनद जी व्यक्तित्व,विचारो और क्रांतिकारी दर्शन का प्रभाव सुभाषचंद्र बोस के रूप में दिखाई देता है, जिन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य में आंखिरी किल ठोकी |
चार्वाक, चाणक्य , अगस्त्य मुनि, गुरु गोरखनाथ, कबीर, ईसा मसीह, गौतम बुद्ध ने साधुकर्म के साथ-साथ देश-धर्म और मानव-धर्म का भी पालन किया |
'जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप होय नरक अधिकारी' कहकर संत तुलसीदास ने भी निरंकुश और अत्याचारी शासको का विरोध किया |वही भक्ति धर्म को निबाहते हुए बिहारी ने तात्कालिक शासको का विरोध किया था | भ्रत्प्रहरी ने तो साधू-धर्म के साथ-साथ राज-धर्म को भी संचालित किया था |सिक्खों के प्रथम गुरु नानक ने बाबर जैसे क्रूर और अत्याचारी की अनीतियो का विरोध कर समाज में फैले विमानस्य के बिच सदभाव के सन्देश दिए |
गुरु हरिराय ने औरंगजेब को सबक सिखाया गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब की क्रूरता का मुखरता से विरोध किया | गुरु गोविन्द सिंह ने ईश्वरीय भक्ति के साथ ही तत्कालीन अत्याचारी शासको से युद्ध करने में भी नहीं चुके | खालसा पंथ के संस्थापक गुरूजी ने मुगलों से लोहा लिया और सत्ता से टकराने के जज्बे में अपने चार पुत्र का बलिदान भी दिया था ,उनके शिष्य बन्दा बैरागी भी जालिम शासको से युद्ध करते हुए शहीद हुए |
यहाँ कहने का आशय यह है की जब-जब सत्ताधीश निरंकुश हुए है तब-तब साधू और संतो ने भी योग-धर्म, गुरु-धर्म, साधू-धर्म का पालन करने के साथ ही राष्ट्र-धर्म का भी निर्वहन करने में कोई हिचक महसूस नहीं की | अत: स्वामी रामदेव जी को राजनीति पर ना बोलने और उनका विरोध करने वालो को इतिहास के पन्नो पर भी जाना चाहिए |
सत्ता या राजनैतिक दलो से जुड़े इन तर्कवीरो को शायद इतिहास का ज्ञान नहीं है भारतीय इतिहास में कल्याणकारी व्यवस्था को स्थापित करने में साधू-समाज की भूमिका न केवल वैचारिक अपितु योद्धा की भी रही है | इतिहास गवाह है जब भी असुरी शक्तियों ने उत्पात मचाया है, जनता के धन को खाया है, अत्याचार किये है, दमन चक्र चलाया है, तब-तब कोई न कोई साधू संत परशुराम की तरह फरसा ले कर मानव कल्याण के लिए आगे आया है |
इतिहास पर नजर दौडाए तो स्वामी दयानंद के शिष्य श्रद्धानंद का अंग्रेजी हुकूमत से टकराना साधू-धर्म के साथ-साथ देश-धर्म के लिए मर-मिटने का यदि मानक उदाहरण है तो स्वामी विवेकानंद का 'दरिद्रनारायण' की स्थापनार्थ किया गया कर्म, साधू-धर्म का पालन करते हुए देश-धर्म का निर्वाह और शोषित-दलित वर्ग को जागृत करने का अनूठा प्रयास था | स्वामी विवेकनद जी व्यक्तित्व,विचारो और क्रांतिकारी दर्शन का प्रभाव सुभाषचंद्र बोस के रूप में दिखाई देता है, जिन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य में आंखिरी किल ठोकी |
चार्वाक, चाणक्य , अगस्त्य मुनि, गुरु गोरखनाथ, कबीर, ईसा मसीह, गौतम बुद्ध ने साधुकर्म के साथ-साथ देश-धर्म और मानव-धर्म का भी पालन किया |
'जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप होय नरक अधिकारी' कहकर संत तुलसीदास ने भी निरंकुश और अत्याचारी शासको का विरोध किया |वही भक्ति धर्म को निबाहते हुए बिहारी ने तात्कालिक शासको का विरोध किया था | भ्रत्प्रहरी ने तो साधू-धर्म के साथ-साथ राज-धर्म को भी संचालित किया था |सिक्खों के प्रथम गुरु नानक ने बाबर जैसे क्रूर और अत्याचारी की अनीतियो का विरोध कर समाज में फैले विमानस्य के बिच सदभाव के सन्देश दिए |
गुरु हरिराय ने औरंगजेब को सबक सिखाया गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब की क्रूरता का मुखरता से विरोध किया | गुरु गोविन्द सिंह ने ईश्वरीय भक्ति के साथ ही तत्कालीन अत्याचारी शासको से युद्ध करने में भी नहीं चुके | खालसा पंथ के संस्थापक गुरूजी ने मुगलों से लोहा लिया और सत्ता से टकराने के जज्बे में अपने चार पुत्र का बलिदान भी दिया था ,उनके शिष्य बन्दा बैरागी भी जालिम शासको से युद्ध करते हुए शहीद हुए |
यहाँ कहने का आशय यह है की जब-जब सत्ताधीश निरंकुश हुए है तब-तब साधू और संतो ने भी योग-धर्म, गुरु-धर्म, साधू-धर्म का पालन करने के साथ ही राष्ट्र-धर्म का भी निर्वहन करने में कोई हिचक महसूस नहीं की | अत: स्वामी रामदेव जी को राजनीति पर ना बोलने और उनका विरोध करने वालो को इतिहास के पन्नो पर भी जाना चाहिए |
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Monday, June 27, 2011
22) बाबा रामदेव 9 दिन के अनशन में ही कैसे थक गए
जो लोग कहते हैं की बाबा रामदेव 9 दिन के अनशन में थक गए वह पहले 9 महीने
तक 18-20 घंटे काम करके 100,000 km की यात्रा करके,10 करोड़ लोगों से
प्रत्यक्ष मिल कर, सरकार के लाठियों की बरसात, आधी रात को अपहरण, आसूं
धुएं और लात घूसों के सामने टिक कर दिखाएँ और फिर बात करें | इसके आलावा
आपकी जानकारी के लिए बता दे की स्वामी राम देव जी ने पिछले 15 सालो से
अन्न त्याग किया हुआ है . और वो केवल दिन में 2 समय फल व् 2 कटोरी सब्जी
ही खाते हैं और एक गिलास दूध लेते हैं | और वैसे भी सवेंदनहीन सरकार
के सामने अनशन करना भैस की आगे बीन बजने के सामान है | सरकार तो चाहती
ही थी की किसी तरह बाबा मर जाए तो हम बिना रोक टोक भ्रस्टाचार करते रहे
तक 18-20 घंटे काम करके 100,000 km की यात्रा करके,10 करोड़ लोगों से
प्रत्यक्ष मिल कर, सरकार के लाठियों की बरसात, आधी रात को अपहरण, आसूं
धुएं और लात घूसों के सामने टिक कर दिखाएँ और फिर बात करें | इसके आलावा
आपकी जानकारी के लिए बता दे की स्वामी राम देव जी ने पिछले 15 सालो से
अन्न त्याग किया हुआ है . और वो केवल दिन में 2 समय फल व् 2 कटोरी सब्जी
ही खाते हैं और एक गिलास दूध लेते हैं | और वैसे भी सवेंदनहीन सरकार
के सामने अनशन करना भैस की आगे बीन बजने के सामान है | सरकार तो चाहती
ही थी की किसी तरह बाबा मर जाए तो हम बिना रोक टोक भ्रस्टाचार करते रहे
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Wednesday, June 22, 2011
21) बाबा रामदेव ११००० लोगो की सेना क्यों बना रहे हैं?
उत्तर: ये राष्ट्र भक्त लोगो की आत्म रक्षा के लिए है | पुराने समय में जब ऋषि मनु तप और यज्ञ किया करते थे तब राम और लक्ष्मण जैसे योद्धा राक्षसों और बुरे लोगो से उनकी रक्षा करे थे. ये सेना दूसरों पर हमला करने के लिए नहीं अपितु आत्मा रक्षा के लिए होगी ( जो शान्ति पूरण अनशन पर बैठे होंगे) ! यह भी स्पस्ट है की यह सेना बन्दूक और गोले की शिक्षा नहीं लेगी बल्कि आत्म बल प्रयोग का अध्यन. मीडिया और कांग्रेस इसका गलत प्रचार कर रही है.
20 ) "बाबा के योग शिविरों की फीस इतनी ज्यादा होती है की कोई गरीब व्यक्ति उसमे नहीं जा सकता है "
उत्तर : ये सही है की शिविर में सभी जगह मुफ्त नहीं है परन्तु इस फीस का इस्तेमाल भी जन सेवा के कार्यों के लिए ही होता है! ये स्वाभाविक है की जो ज्यादा पैसे देगा उसे उतना नजदीक स्थान प्राप्त होगा! परन्तु अगर आपके पास पैसे नहीं है तो भी चिंता करने की बात नहीं हैं क्योंकि हर योग शिविर में हमेशा मुफ्त प्रवेश भी होता है, इसके अलावा आप योग टीवी के माध्यम से देख और सीख सकते हैं क्योंकि सारे कार्यक्रम टीवी पर प्रसारित होते हैं. जबकि योग शिविर में भी लोग बाबा को दूर से अच्छी तरह से नहीं देख सकते और वहां पर बड़ी टीवी स्क्रीन लगी होती है जैसा हमें घर पर टीवी में दिखाई देता है.
इसके आलावा बाबा राम देव ने ९ महीने तक घूम घूम कर एक लाख किलोमीटर के यात्रा के दोरान हर दिन एक नए शहर / कसबे में निशुल्क एक दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया . सबूत यहाँ देखे www.BharatSwabhimanYatra.com
सितम्बर २०११ के महीने से बाबा जी भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत निशुल्क एक दिवसीय योग शिविर का दूसरा दोर शरू करने वाले है जिसमें वो २ लाख किलोमीटर की यात्रा तय करेंगे
इसके आलावा बाबा राम देव ने ९ महीने तक घूम घूम कर एक लाख किलोमीटर के यात्रा के दोरान हर दिन एक नए शहर / कसबे में निशुल्क एक दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया . सबूत यहाँ देखे www.BharatSwabhimanYatra.com
सितम्बर २०११ के महीने से बाबा जी भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत निशुल्क एक दिवसीय योग शिविर का दूसरा दोर शरू करने वाले है जिसमें वो २ लाख किलोमीटर की यात्रा तय करेंगे
19) बाबा चाहते हैं मल्टिनैशनल कंपनियों को बाहर कर दिया जाए। जिस विमान में वह उड़ते हैं , जो सैटेलाइट उनके टीवी चैनल को चलाता है , जो फोन वह इस्तेमाल करते हैं , सब मल्टिनैशनल कंपनियों ने बनाए हैं।
उत्तर :
यहाँ स्पष्ट कर देना जरुरी है की यहाँ केवल जीरो तकनीकी ( zero technology ) से बनी स्वदेशी वस्तुओ के बारे में कहा जा रहा है . जैसे आचार, पापड़ , साबुन तेल शम्पू टूथ पेस्ट आदि जिनको बनाने में कोई विशेष तकनीकी की जरुरत नहीं होती , जो छोटे छोटे लघु उद्ध्योग लगा कर आम आदमी भी रोजगार कमा सकता है . अगर ये जीरो तकनीकी का सामान भी विदेशी कंपनी आ कर बना कर बचेंगे तो छोटे छोटे उद्योग बंद हो जायंगे और आम आदमी का रोजगार चला जायगा . और मुनाफे का पैसा विदेशो में चला जायगा .
यहाँ स्पष्ट कर देना जरुरी है की यहाँ केवल जीरो तकनीकी ( zero technology ) से बनी स्वदेशी वस्तुओ के बारे में कहा जा रहा है . जैसे आचार, पापड़ , साबुन तेल शम्पू टूथ पेस्ट आदि जिनको बनाने में कोई विशेष तकनीकी की जरुरत नहीं होती , जो छोटे छोटे लघु उद्ध्योग लगा कर आम आदमी भी रोजगार कमा सकता है . अगर ये जीरो तकनीकी का सामान भी विदेशी कंपनी आ कर बना कर बचेंगे तो छोटे छोटे उद्योग बंद हो जायंगे और आम आदमी का रोजगार चला जायगा . और मुनाफे का पैसा विदेशो में चला जायगा .
18 ) संघ और बीजेपी अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए स्वामी और हजारे को आगे कर रहे हैं। ये संघ के मुखौटे हैं।
उत्तर :
जो भी संगठन रास्ट्र हित के मुद्दों को लेकर चिंतित है वो हमारा समर्थन कर रहे हैं इस मैं अनेक मुस्लिम संगठनों से लेकर , बीजेपी, RSS व् विभिन्न सामाजिक व् अध्यात्मिक संगठन शामिल है. जब आप बताते हैं के संघ इसमें शामिल है , तो ये भी बताये के अनेक राष्ट्र वादी मुस्लिम , जैन , सिख , बौध , आदि संगठन भी इसमें बाबा जी के सहयोगी है
जो भी संगठन रास्ट्र हित के मुद्दों को लेकर चिंतित है वो हमारा समर्थन कर रहे हैं इस मैं अनेक मुस्लिम संगठनों से लेकर , बीजेपी, RSS व् विभिन्न सामाजिक व् अध्यात्मिक संगठन शामिल है. जब आप बताते हैं के संघ इसमें शामिल है , तो ये भी बताये के अनेक राष्ट्र वादी मुस्लिम , जैन , सिख , बौध , आदि संगठन भी इसमें बाबा जी के सहयोगी है
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