Saturday, September 14, 2013

24 ) व्यवस्था कानून बदलने से बदलेगी न की नेताओ को बदलकर

पहले स्वामी राम देव भी यही कहते थे की "हमें कार( कानून ) बदलनी है ड्राईवर (सरकार)  नहीं" . कानून बदलने की कोशिश अन्ना हजारे जी ने की 5 अप्रैल 2011 के आन्दोलन से . बहुत ही सफल आन्दोलन रहा . पर क्या हुआ ? क्या जन लोकपाल बिल आया ? नहीं आया क्योंकि कांग्रेस नेता बेईमान थे. अन्ना अन्ना हजारे जी के साथ धोखा हुआ . 4 जून 2011 को बाबा राम देव ने भ्रस्ताचार मिटाओ सत्याग्रह किया जिसमे व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दों  ( 1. अंग्रेजों के कानून बदलना , 2. काला धन वापस लाने , 3. बड़े नोट बंद करने और 4. मजबूत जन लोकपाल  click here to download proof ) के लिए अनशन किया गया पर रात को 12 बजे सोते हुए अनशन करने वालों लोगों पर लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए . बाबा राम देव के साथ भी धोखा हुआ .  अगले साल 9 अगस्त 2012 को बाबा राम देव फिर से रामलीला मैदान में आये और फिर से व्यवस्था परिवर्तन के उन्ही मुद्दों को लेकर आन्दोलन किया . बाबा राम देव  ने कहा की हमारी कांग्रेस से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है अगर आप हमारी ये जायज मांगे मान लेते हैं तो हम इस का पूरा श्रेय कांग्रेस को देंगे और कांग्रेस का ही समर्थन करेंगे. अपनी मांगो को लेकर उन्होंने कांग्रेस सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा और कांग्रेस सरकार को तीन दिन का वक्त दिया. पर कांग्रेस सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया . इसके बाद कांग्रेस की मंशा समझते हुए उन्होंने  "कांग्रेस हटाओ देश बचाओ" का नारा दिया.  उन्होंने कहा अगले चुनाव में कांग्रेस का हम पूरा विरोध करेंगे और कांग्रेस का एक महबूत विकल्प देश को देंगे . अब बताये व्यवस्था बदलने के लिए कानून बदलने की जरुरत होती है , पर कानून बदलने के किये भ्रष्ट नेताओ को बदलने की भी तो जरुरत है न . रही बात BJP की . वो भी कोई दूध की धूलि नहीं है पर नरेंदर मोदी जैसे कुशल प्रशासक के नेतृत्व में देश को एक राजनैतिक बदलाव देने की जरुरत से कोई इनकार नहीं कर सकता . क्योंकि नरेंदर मोदी ने कुछ कहने से पहले कर के दिखाया है .  साथ ही देश के लिए कैंसर इस कांग्रेस कांग्रेस को भी  जड़ से उखाड़ने की जरुरत है . साथ ही बाबा राम देव ने ये भी स्पष्ट कहा है की हमने BJP के साथ कोई शादी नहीं कर रखी . अगर BJP ने व्यवस्था परिवर्तन की हमारी मांगो को नहीं माना तो हम दूसरे विकल्प जैसे नई राजनैतिक पार्टी बनाने  या किसी अन्य ईमानदार पार्टी को समर्थ देने पर भी विचार कर सकते है . रही बात अरविन्द केजरीवाल की . वो तो एक विदेशी एजेंट है जिसका काम सिर्फ जनता को गुमराह करना है ताकि वोट बंट जाएँ और कांग्रेस को फायदा हो जाए. अगर अरविन्द की मंशा सही होती तो अन्ना या बाबा या किरण बेदी उसके साथ होते .

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